प्यार के चार पल कम नहीं थे
कभी तुम नहीं थे कभी हम नहीं थे,
प्यार के हसीं ये मौसम कब नहीं थे,
कभी तुम नहीं थे कभी हम नहीं थे.
ये दिन तो बरसों के बाद आया है,
कुछ तुम्हें भी और कुछ हमें भी याद आया है,
कसक वोही फिर से दिल में उठी है,
होठों पे बात आकर रुक गयी है,
कभी इतने मजबूर तो हम नहीं थे,
प्यार के हसीं ये मौसम कब नहीं थे,
कभी तुम नहीं थे कभी हम नहीं थे.
अगर बढ़ के तुम ये दिल मांग लेते,
अगर बढ़ के तुम ये दिल मांग लेते,
जाने मन तुम्हें हम अपनी जान भी देते,
कैसे ये सोचा के हम तुम्हें भूल जाते,
मुड़ते हम तो भी तुम हमें याद आते,
तुम्हें तो है पता के बेवफा हम नहीं हैं,
प्यार के हसीं ये मौसम कब नहीं थे,
कभी तुम नहीं थे कभी हम नहीं थे.
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